मंगलम भगवान विष्णुः मंगलम गरुड़ध्वजः
मंगलम पुण्डरीकाक्षः मंगलाय तनोऽहरिः.....................................................!
धारयत्यखिलं दैवत्यं विष्णु विरंचि शक्तिसंयुतम।
जगदस्तित्वं यंत्रमंत्रं नमामि तंत्रात्मकं शिवम।................................................2
विविध शक्तियाँ, विष्णु तथा ब्रह्मा जिसके कारण देवी व देवता के रुप में विराजमान हैं, जिनके कारण जगत का अस्तित्व है, जो यंत्र,मंत्र हैं. ऎसे तंत्र के रुप में विराजमान भगवान शिव को नमस्कार है.
मंगलम पुण्डरीकाक्षः मंगलाय तनोऽहरिः.....................................................!
धारयत्यखिलं दैवत्यं विष्णु विरंचि शक्तिसंयुतम।
जगदस्तित्वं यंत्रमंत्रं नमामि तंत्रात्मकं शिवम।................................................2
विविध शक्तियाँ, विष्णु तथा ब्रह्मा जिसके कारण देवी व देवता के रुप में विराजमान हैं, जिनके कारण जगत का अस्तित्व है, जो यंत्र,मंत्र हैं. ऎसे तंत्र के रुप में विराजमान भगवान शिव को नमस्कार है.
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