चंद्र ग्रह का चक्र और लाल किताब

कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने अनुसार चंद्र के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसकी सावधानी के साथ उपाय बताए गए हैं। यहाँ प्रस्तुत है प्रत्येक भाव में चंद्र की स्थित और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी।
विशेषता : जल और घोड़
(1) पहला खाना : घर में रखे घड़े का शीतल पानी। शिक्षा पर लगा पैसा फायदा देगा। राज दरबार की नौकरी लाभप्रद रहेगी। माता जब तक जिंदा है धन- दौलत बरकरार समझो। यदि आठवें घर में शनि या चंद्र का कोई दुश्मन हो तो जन्म से पूर्व भाई या बहन की मृत्यु की संभावना।
सावधानी : चंद्र का दान नहीं लेना और न ही चंद्र की वस्तु को बेचना। बड़ में पानी डालें। चाँदी के बर्तन में दूध पीना लाभदायक।
(2) दूसरा खाना : पहाड़ी झरना। पढ़ाई, माता या खानदानी जायदाद, दोनों में से किसी एक का सुख। माता के जीते जी शिक्षा अच्छी रहेगी। चंद्र का कारोबार मंदा रहेगा। घर में मंदिर का होना अशुभ है। ऐसे व्यक्ति की बहन के होने की कोई ग्यारंटी नहीं।
सावधानी : घर में कच्ची मिट्टी का स्थान रखें और दरिया का पानी भी। जायदाद मिलने की संभावना बढ़ेगी।
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(3) तीसरा खाना : रेगिस्तानी पानी। जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी पिता की आर्थिक हालत में कभी आती जाएगी, लेकिन शिक्षा अपनी कीमत देगी फिर भी इसकी कोई शर्त नहीं। चोरी और मौत का रक्षक और उम्र का मालिक फरिश्ता।
सावधानी : बचना होगा राहु-केतु की शरारत से, यदि दोनों मंदे हों तो। बचने का तरीका यह कि बुध अर्थात दुर्गा, बहन और कन्या का सम्मान करें। कन्या भोज उत्तम उपाय।
(4) चौथा खाना : चश्मे का मीठा पानी। पढ़ाई के लिए किसी भी तरह से सहायता मिलती रहेगी। शुभ होगी। माता की सेवा तारणहार सिद्ध होगी। चंद्र के व्यापार में लाभ।
सावधानी : माता को किसी भी प्रकार से क्रोधित न करें। प्रतिदिन उनके चरण स्पर्श करें। माता की सेवा तारणहार सिद्ध होगी। 
(5) पाँचवाँ खाना : पाताल का पानी। ममतामयी माता। शिक्षा में अड़चनें हो सकती हैं। सरकारी कामों में लाभ मिलेगा।

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