नटराज स्तुति

शिव परं ब्रह्म जगत सृजनकर्ता एवं  जगत गुरु हैं| शिव का तांडव प्रसिद्ध है| शिव के आनद तांडव के साथ ही सृजन का आरंभ होता है एवं रौद्र तांडव के साथ ही सम्पूर्ण विश्व शिव में पुनः समाहित हो जाते हैं|
नटराज शिव के जगत गुरू स्वरूप का भी परिचायक है| नृत्य कलाओं में श्रेठ गिना जाता है और नटराज शिव कलाओं एवं ज्ञान प्रदान करने वाले परं गुरु हैं.
नटराज स्तुति उन्ही जगत गुरु, परं ब्रह्म शिव को समर्पति है |

सत सृष्टि तांडव रचयिता 
नटराज राज नमो नमः|

हे नटराज आप ही अपने तांडव द्वारा सृष्टि की रचना करने वाले हैं| हे नटराज राज आपको नमन है|

हे आद्य गुरु शंकर पिता 
नटराज राज नमो नमः|
natraaj
हे शंकर आप ही परं पिता एवं आदि गुरु हैं. हे नटराज राज आपको नमन है|

गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्मांडना 
नित होत नाद प्रचंडना 
नटराज राज नमो नमः|
हे शिव, ये संपूर्ण विश्व आपके मृदंग के ध्वनि द्वारा ही संचालित होता है| इस संसार में व्याप्त प्रत्येक ध्वनि के श्रोत आप हे हैं| हे नटराज राज आपको नमन है |

सिर ज्ञान गंगा चंद्र चिद ब्रह्म ज्योति ललाट मां 
विष नाग माला कंठ मां 
नटराज राज नमो नमः|

हे नटराज आप ज्ञान रूपी चंद्र एवं गंगा को धारण करने वाले हैं, आपका ललाट से दिव्या ज्योति का स्रोत है| हे नटराज राज आप विषधारी नाग को गले में धारण करते हैं| आपको नमन है|

तवशक्ति वामे स्थिता हे चन्द्रिका अपराजिता | 
चहु वेद गाएं संहिता 
नटराज राज नमो नमः|
हे शिव (माता) शक्ति आपके अर्धांगिनी हैं, हे चंद्रमौलेश्वर आप अजय हैं. चार वेदा आपकी ही सहिंता का गान करते हैं. हे नटराज राज आपको नमन है |

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