चाणक्य की शिक्षाओं को आप लोगों ने बहुत ज्यादा
पढा है इसीलिए हम कोशिश कर रहे है कि इस ब्लॉग से आप लोगों तक अधिक से अधिक चाणक्य
नीतियों को प्रचारित करें.
चाणक्य सूत्र
जब आपका
बच्चा जवानी की दहलीज पर पैर रखें यानी कि सोलह-सत्रह वर्ष का होने लगे तब आप संभल
जाए और उसके साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार करें। यह बहुत जरूरी है।
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चाणक्य सूत्र
* टीनएज
बच्चों के साथ हमेशा दोस्ती का व्यवहार करने से वे आपके सबसे अच्छे दोस्त होते
हैं।
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चाणक्य सूत्र
* अपने
ईमान और धर्म बेचकर कर कमाया गया धन अपने किसी काम का नहीं होता। अत: उसका त्याग
करें। आपके लिए यही उत्तम है।
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चाणक्य सूत्र
2)”किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए।
सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।”
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चाणक्य सूत्र
धर्म का
पालन करने से दुखदायी पाप की संभावनाएं नष्ट हो जाती हैं।
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मानसिक पतन से मिलने वाला सुख, सुख न होकर मात्र सुखभ्रम ही होता है।
* जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हो। ऐसे लोगों से दूर ही रहें। क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते है। जो किसी और का ना हुआ वो भला आपका क्या होगा।
* जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हो। ऐसे लोगों से दूर ही रहें। क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते है। जो किसी और का ना हुआ वो भला आपका क्या होगा।
* शासन
की सुव्यवस्था राजा और प्रजा दोनों को सुखी और संपन्न बना देती है।
* यदि
राज्य का राज्यधिकारी संपूर्ण राजकीय गुणों से युक्त होता है तो राजा, प्रजा,
राजकर्मचारी भी इन सब गुणों से संपन्न बन जाते हैं।
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चाणक्य सूत्र
जिस प्रकार सभी पर्वतों पर मणि नहीं मिलती, सभी हाथियों के मस्तक में मोती उत्पन्न नहीं होता, सभी वनों में चंदन का वृक्ष नहीं होता, उसी प्रकार सज्जन पुरुष सभी जगहों पर नहीं मिलते हैं।
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चाणक्य सूत्र
चाणक्य का मानना है कि वही गृहस्थी सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है। पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करे। इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।
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